उरी पर आतंकी हमले पर

उन लोगों की उम्र अभी मरने की तो नहीं थी
 न ये वो जंग थी
 जिसमे उनकी कुर्बानी होती
 न ये दुर्घटना थी कोई
 जिसे समाचार बनना था...

 ये तो एक धोखा था
 जैसे सोए शेर पर
लकड़बग्घों का झुंड
घात लगा कर हमला कर दे
और नोच डाले !

ये तो ख़ौफ़ज़दा कुत्तों के
धोख़े से काट लेने जैसा वाकया था !
या नाली के रास्ते आए
साँपों का डसना /
क्या पता साँप आस्तीन में ही हो !

मग़र इतना तो हुआ
की सत्रह जवान
जो अभी सत्तर साल तक
सीना चौड़ा किये
ज़िन्दा रहते
अचानक से "क़त्ल" कर दिए गए !

तुम्हारा ख़ून
भारत के ललाट पे तिलक बन कर दमक रहा है !
तुम्हारा ख़ून
भारत की आँखों में उबल कर उतर रहा है !
तुम्हारा ख़ून
भारत की नसों में ख़ौल रहा है /
और ये कह रहा है --
 हमे बदला नहीं चाहिए "इन्साफ़" चाहिए
और आसमानी-किताबों में लिक्खा है
"ख़ून का बदला ख़ून यही इन्साफ़ है" !!

ओमा The अक्
19 sep 2016

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