ख़तरा

ख़तरा है भई
ख़तरा है
उनकी जान को
ख़तरा है!
उनकी जान बचाने को
किसको लहूलुहान करें
किस बस्ती में आग लगाएं
इंसा को हैवान करें/
उनकी जान बचाने को
किसकी गर्दन तोड़ेंगे
किसके घर को लूटेंगे
कितनो के सर फोड़ेगें/
ख़तरा है भई
ख़तरा है
उनकी जान को
ख़तरा है
उनकी जान क़ीमती है
बाक़ी सब तो उपले हैं
गोबर के सूखे उपले
भट्टी में फुंक जाने को
हंडिया को गर्माने को
रोज़ जलाए जाते हैं
रोज़ जलाए जाएंगे
उन्हें कँपकपी आई है
ये सुलगाए जाएंगे
बेचारे सूखे उपले
लोकतंत्र के चूल्हे में
रोज़ जलाए जाते हैं
फिर भी नहीं उबरते हैं
उनकी जान को मरते हैं
जिनकी जान को ख़तरा है
ख़तरा है भई
ख़तरा है...!!"

18 jan 2022
ओमा The अक्©

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