Posts

Showing posts with the label bharat

सैकड़ों हिन्दू मुस्लिम बन्धुओं ने जाती-मज़हब की पहचान छोड़ कर अपना उपनाम भारत जोड़ कर मनाया जश्ने-आज़ादी

काशी " देश के लोकतंत्र को समर्पित संस्था "अक् जागृत मतदाता मंच" द्वारा प्रधान मंत्री के आह्वान पर देश की आज़ादी के 70वें साल पर मनाए जा रहे जश्ने-आज़ादी के अंतर्गत अक् के अभियान ऐलान करो हम भारत हैं  के चौथे वर्ष् पर जैतपुरा शाखा का उद्घाटन किया गया जहाँ सैकड़ो मुस्लिम बन्धुओं ने और कई हिन्दू भाइयों ने साकिब भारत के नेतृत्व में अपने उपनाम त्याग कर उसके स्थान पर "भारत" लगाया और भारत को किसी भी जात या मज़हब से ऊपर रख कर लोकतंत्र को मजबूत करने का वचन दिया । इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए स्वामी ओमा दी अक् ने कहा कि भारत को जनतंत्र की स्वतंत्रता प्राप्त हुए उनहत्तर साल बीत चुके हैं लेकिन अब तक भारत अपनी क्षमता के अनुसार विकास और वैभव नहीं प्राप्त कर सका है, सनातन धर्म के प्राकट्य और मानव कल्याण का उद्घोष करने वाले भारत में आज जिस तरह का चारित्रिक-सामाजिक-पतन देखने को मिल रहा है उसके पीछे आध्यत्मिक-दरिद्रता और देशप्रेम की कमी है जिसे सरकारी तौर पर पिछले कई सालों में अनदेखा किया गया है लेकिन अब थोड़ी सी उम्मीद जाग रही है। उन्होंने आगे कहा कि केवल सेक्युलरवा...

ओमा दी अक् ने बताया भारत माता की जय को केवल दारुल उलूम का देश के हिन्दू मुस्लिम बांटने का नया पैतरा

आध्यत्म मूर्ति ओमा दी अक् ने कहा की इस्लाम की बुनियादी सोच में एक ख़ुदा की इबादत की बात है लेकिन साथ साथ मादरे वतन के साथ वफ़ादारी को आधा ईमान भी कहा गया है, स्वामी ओमा ने कहा की "भारत माता की जय" वास्तव में किसी देवी या देवता की इबादत नहीं बल्कि अपने वतन की सलामती और फ़तह की घोषणा या दुआ भर है, जिसे इस्लाम कत्तई मना नहीं करता, लेकिन कुछ लोगों के समूह अब किसी भी सम्प्रदाय की ठेकेदारी ले लेते हैं और उसका ख़ामियाजा पूरी कौम को भुगतना पड़ता है, यही हाल दारुल उलूम का है जो "जय" शब्द को इबादत से जोड़ कर मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहा है और नफ़रत फैला रहा है जबकि इस शब्द के उर्दू में अर्थ "फ़तह" और "सलामती" होगी, और अपने वतन की सलामती की दुआ या फ़तह का एलान कत्तई शिर्क नहीं, ओमा दी अक् ने साथ ही ये प्रश्न भी उठाया की क्या दारुल उलूम के हिसाब से "जय हिन्द" भी शिर्क नहीं हुआ ? स्वामी ओमा दी अक् ने कहा की ऐसी बातें केवल देश में हिन्दू मुसलमान को बाँटने और नफ़रत फैलाने का काम करती हैं । दारुल उलूम को ऐसे फ़तवे देने से पहले गहराई से विचार करना चाहिए, और स...