Posts

Showing posts from January, 2022

गणतंत्र

लोकतंत्र क् नारा बा ईहे एक सहारा बा बाकी देस क् कोना कोना अटल पटल अनिहारा बा लोकतंत्र क् नारा बा.... मड़ई-लुग्गा-रासन गुल नेता जी क् भाषन फुल मजदूरी कउड़ी-कउड़ी निर्धन के लतियावें कुल एकरे बदे लड़ल भारत इहे नवा-भिनसारा बा लोकतंत्र क् नारा बा ईहे एक सहारा बा.... नोचा और कचोटा बाबू ले के थरिया-लोटा बाबू भांग-धतूरा घोटा बाबू वरना पड़िये सोटा बाबू आन्हर भइल जमाना आधी-रात कहा उजियारा बा लोकतंत्र क् नारा बा ईहे एक सहारा बा... सुना रेडियो टीवी मा देस बढ़त बा तेजी मा देस का बोली सत्तर ठो देस पढ़त अंग्रेजी मा खेत-किसान बुड़ें-मर जावें सूट-बूट चटकारा बा लोकतंत्र क् नारा बा ईहे एक सहारा बा.... मुठ्ठी में दुनिया क सपना भट्टी में घर के सच्चाई ऐसे कइसे देस चल सकी अइसे राज-काज लूट जाई उठा बांध के मुठ्ठी रजऊ कहे तिरंगा-प्यारा बा लोकतंत्र क् नारा बा ईहे एक सहारा बा....!! 26 जनवरी 2022 ओमा The अक्©

ख़तरा

ख़तरा है भई ख़तरा है उनकी जान को ख़तरा है! उनकी जान बचाने को किसको लहूलुहान करें किस बस्ती में आग लगाएं इंसा को हैवान करें/ उनकी जान बचाने को किसकी गर्दन तोड़ेंगे किसके घर को लूटेंगे कितनो के सर फोड़ेगें/ ख़तरा है भई ख़तरा है उनकी जान को ख़तरा है उनकी जान क़ीमती है बाक़ी सब तो उपले हैं गोबर के सूखे उपले भट्टी में फुंक जाने को हंडिया को गर्माने को रोज़ जलाए जाते हैं रोज़ जलाए जाएंगे उन्हें कँपकपी आई है ये सुलगाए जाएंगे बेचारे सूखे उपले लोकतंत्र के चूल्हे में रोज़ जलाए जाते हैं फिर भी नहीं उबरते हैं उनकी जान को मरते हैं जिनकी जान को ख़तरा है ख़तरा है भई ख़तरा है...!!" 18 jan 2022 ओमा The अक्©