मर्लिन मुनरो

"जिम डोरती" कार चलाते हुए बहुत खुश था...मुस्कुराती हुई उसकी बीवी ने उसे लिपट कर चूम लिया...और बोली --" मैं बहुत खुश हूँ जिम! तुम मेरे साथ हो हम अब हम लोग "लॉस एन्जेल्स" में घर लेंगे और"...तभी जिम बोल पड़ा-- "मैं बहुत खुश हूं आज "ट्वेंटीएथ सेंचुरी फॉक्स" ने तुम्हे दर्जन भर फिल्मों के लिए एक साथ साइन किया है...ये कमाल है!"...यह सुन कर उस सुन्दरी का चेहरा उतर गया... जिम बोलता जा रहा था---" उफ! जानेमन! तुमने जादू कर दिया...पैसा ही पैसा होगा...लोग पागल हो जाएंगे ये खबर देख कर की "मिसेज डोरती" को फॉक्स ने ऐतिहासिक-अवसर दिया है...सारी इंड्रस्ट्री तुम पर फिदा होगी...अरे! तुम उदास क्यों हो मेरी जान! तुम अपने सपने के नज़दीक हो...तुम दुनिया की सबसे बड़ी अदाकारा बनने वाली हो...ये तूम्हारी प्रतिभा का मूल्यांकन है!"...बस ये सुन कर जिम की अभिनेत्री बीवी को न जाने क्या बुरा लगा कि उसने चीख कर कहा---" भाड़ में गई प्रतिभा!..तुम इतने भी बेवकूफ़ तो नही लगते की तुम्हे ये भी म पता हो कि हॉलीवुड प्रतिभा नही जिस्म खरीदता है एक औरत का...और मुझे ये क़रार मेरे हुनर से नही बल्की उन बिस्तरों की ताकत से मिला है जिसे तूम्हारी बीवी ने अपने बदन से गर्म किया था..!"

सफलताओं की बेशर्म पगडंडियों पर चलने वाली एक मासूम सी लड़की के दिल का ये अंगार तो अभी बस एक चिंगारी की तरह फूटा था..आगे तो इसे शोला होना था फिर ज्वालामुखी...! 
"बेकर" परिवार में 1 जून 1926 को पैदा होने वाली इस बदनसीब-परी को दुनिया "सौंदर्य-सम्राज्ञी मैरलीन मुनरो" के नाम से पुकारती है! बचपन में माँ को पागलखाने जाते देखने वाली इस बिना बाप की बच्ची को अनायास भय ने घेर लिया...अपनी बेहद खूबसूरत नानी की ये नतिनी जब बार बार नानी से अपने बाप का पता पूछने लगी तो नानी ने उसे "क्लार्क गेबिल" (महानतम अभिनेता) का चित्र दिखा कर कहा --"तुम इसकी अवैध संतान हो..!'...यह सुन कर उस बच्ची को पहली बार खुद में "स्टार" होने की अनुभूति हुई...जो अंत तक बनी रही..।

मैरलीन जब केवल आठ साल की हुई तब उसके साथ एक पवित्र येशु-भक्त शिक्षक ने बलात्कार किया..शिकायत करने पर उल्टा मैरलीन को ही मार पड़ी की उसके लापरवाह रूप ने एक पवित्र-नर को मार्ग भटका दिया...बस वो आख़री दिन था जब मैरलीन ने येशु की प्रतिमा के सामने चर्च में रोते हुए आख़री बार "कन्फ़ेस" किया था! फिर वो कभी येशु के सामने नही गई..हाँ शायद सलीब साथ ही ले आई थी।

मैर्लिंन जब तेरह बरस की हुई तब उसके साथ पुनः बलात्कार हुआ और इस बार उसके सहपाठी ने ये कुकर्म किया...और इस बार भी मैरलीन को ही समझौता करना पड़ा...मैरलीन पुरुषों से नफ़रत करने के कागार पर थी कि उसकी ज़िन्दगी में जिम डोरती किसी बहार की तरह आया...मैरलीन उसे पागलों की तरह प्यार करती थी...और जिम भी उसे बहुत चाहता था और इज़्ज़त करता था उसकी ख़्वाहिशों की! मग़र फिर भी दोनों के बीच अलगाव हुआ और कारण था मैरलीन का वो सुनहला सफ़र जिस पर चलने के लिए ख़ुद जिम ने उसे उकसाया था। देखते ही देखते मैरलीन हॉलीवुड क्या सारे संसार की सबसे लोकप्रिय-अभिनेत्री बन गई...उसके हुस्न के दीवाने अमेरिका से भारत और जापान तक फैले हुए थे!

मैरलीन मुनरो...ये नाम सफलता की मिसाल बन चुका था.... नियाग्रा, जेंटिलमैन प्रेफर ब्लॉन्ड, नो बिज़नेस लाइक शो बिज़नेस, सेवन इयर ईच, बस स्टॉप और अन्य सफलतम चलचित्रों ने मुनरो को सुपर स्टार बना दिया था..और सफेद गाउन को घुटनों तक उड़ाती हुई मैरलीन कि तस्वीरों से लगभग सारी दुनिया में छा गई थीं..उसके गाए हुए गाने दुनिया भर में बज रहे थे वो फ़िल्म स्टार होने के साथ ही बहुत बड़ी सिंगिंग रॉक स्टार भी बन चुकी थी "एल्विस प्रिसले" से पहले...! मैरलीन के गानों में वही चुलबुलाहट और हँसी थी जो उसकी अदाकारी और सिनेमाई किरदारों में थी..मग़र उसकी  ज़िन्दगी में कहीं नही थी...और वो अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए शराब और सेक्स को नशे की तरह इस्तेमाल करने लगी थी। वो जानती थी कि लोग उसके लिए पागल हैं मग़र वो ये भी नही भूलती थी कि हमेशा रुपहले पर्दे की शोख़ गुड़िया नही रहने वाली है...ये उम्र ढल जाएगी और जिस्म अपनी चमक खो देगा..तब भी क्या कोई उसके लिए पागल होगा..क्या कोई ऐसा भी होगा जो उंसके यौवन को नही बल्की उसे प्यार करेगा...तब भी जब वो बूढ़ी होगी....या मर जाएगी।

मैरलीन उपभोक्तावादी यूग का शापित प्रयोग थी...उसका प्यार लोगों के लिए मात्र वासना का निमंत्रण बन गया था...वो हर बार कपड़े उतारने से बचती थी पर लोग उसके कपड़े नोच लेते थे...विडंबना देखिये एक ऐसी लज्जित स्त्री जिस पर निर्लज्जता के सैकड़ों आरोप थे...एक ऐसी प्रेमिका जिसे तथाकथित सभ्य समाज सामने से "वीनस" और पीठ पीछे "होर"(वैस्या) कह कर पुकार रहा था...मैरलीन सब जानती थी इस लिए "आर्थर मिलर" के शाहकार "मिसफिट" में "मोस्ट फिट एक्ट्रेस" साबित हुइ...उसके चेहरे पर एक तंज भरी हँसी थी "गोल्डेनग्लोब अवार्ड" थामे हुए। 

मुनरो ने डोरती के बाद "दिमिगियो" के प्यार में पड़ी...वो बेसबॉल का स्टार खिलाड़ी था.. बहुत ही "पजेसिव"...मैरलीन को उसका गुस्सा और नियंत्रण दोनों बहुत मर्दाना और लुभावना लगा..वो जिम डोरती से विपरीत था...जिम जहां मैरलीन से दबता था वहीं दिमिगियो मैरलीन पर हावी रहने लगा...बचपन से पुरुषों के शोषण और दमन का शिकार रही मैरलीन इस खुशफहमी में आ गई कि अब उसे एक रक्षक मिल गया है...उसने अपने पिता की कल्पना को साकार होते देखा... ये जोड़ी बहुत अच्छी थी अग़र मैरलीन सिर्फ़ एक सहमी हुई स्त्री होती तो!..पर संयोग से वो एक मनुष्य अधिक थी...और वो भी एक स्वतंत्र मनुष्य...बहुत जल्द दिमिगियो की मर्दाना-आदतें मैरलीन पर बोझ बन गईं...उसे जिम की याद आने लगी...और एक दिन उसने पिटाई के लिए उठे दिमिगियो के हाथ पकड़ कर कहा---" भाड़ में जाओ तुम! तुम भूल रहे हो कि मैं मिसेज दिमिगियो बनने से बहुत पहले मैरलीन मुनरो बन चुकी हूँ! और एक मैरलीन मुनरो हज़ारों दिमिगियो से बड़ी स्टार है! और बेहतर इंसान भी!"...अगले दिन दोनों ने तलाक़ ले लिया...और मैरलीन मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई...ज़िन्दगी में भी और प्यार में भी...उसके अगले मोड़ पर खड़ा था "आर्थर"...मैरलीन का बौद्धिक साथी...हाँ ये मज़ेदार सच है कि  आमतौर पर "भोंदू सुंदरी" की छवि में रहने वाली मुनरो को किताबो और वो भी "दार्शनिक" किताबों में गहरी रुचि थी...वो ईश्वर को नही मानती थी इस लिए संसार की समझ ही उसकी मुख्य बौद्धिक-तृष्णा थी...और आर्थर मिलर अमेरिका प्रसिद्ध लेखक, निर्देशक, नाटककार, कवि, चिंतक और सिनेमाकार था...मैरलीन से उम्र में बहुत बड़ा...मैरलीन ने उसकी उँगली में शादी की अँगूठी पहना कर उसे चूम लिया...उसे लगा कि अब उसका भटकाव ख़त्म हो गया है... और उसने सही व्यक्ति को चुन लिया है...लेकिन मिलर एक गम्भीर और कुछ हद तक ग़ैर रूमानी इंसान था या शायद ये उसकी उम्र का तक़ाज़ा था कि उसमे युवाओं की दीवानगी नही रह गई थी जो मैरलीन में थी...इस तरह एक अद्भुत सफल फ़िल्म "मिसफिट" के साथ ये "मिस फिट जोड़ी" भी अलग हो गई...मैरलीन फिर अकेली थी...इस बात से बेखबर की ये अकेलापन अब उसका चुनाव बन चुका है।

अमेरिका एक कुसंस्कारी देश है...वहाँ अवसरवादी व्यक्ति समझदार कहा जाता है...और दोगलापन सामाजिक-स्वीकृति प्राप्त है....मैरलीन इन दोनों बातों को जानते हुए भी इनसे दूर रही...और जब कभी उसे इस कीचड़ में उतरना पड़ा तो उसकी दुर्गंध शैम्पेन में नींद की गोली डाल कर ही थोड़ी बहुत मिटा पाती थी बिचारि!...समय के साथ दुर्गंध बढ़ती रही और नशा भी...!

जॉन एफ कैनेडी उसी कुसंस्कारी अमेरिका का प्रथम-नागरिक था...उसे चाँद पर जाने की दीवानगी थी..सो धरती पर टहलते चाँद का दीवाना वो क्यों न होता... इसलिए वो मैरलीन को मिला और मिलता ही रहा... उसने मैरलीन को एहसास दिलाया कि वो इस देश की प्रथम महिला बनने का सामर्थ्य रखती है...मैरलीन भी इस बात पर भरोसा करना चाहती थी लेकिन पूरी तरह नही क्यों कि उसे सफल पुरुषों की सफलता में "झूठ" के योगदान का खूब पता था। अमेरिकी स्त्रीविरोधी मीडिया महान अभिनेत्री मैरलीन को गप्प की शक्ल में "कैनिडी हरम" का हिस्सा बताने लगा था...जबकि सच ये था कि जान एफ कैनिडी और उसका भाई रॉबर्ट कैनिडी दूसरी दृष्टि से मैरलीन मुनरो के उस हरम का हिस्सा बन चुके थे जिसमें ऐसे कई पुरुष शामिल थे...पर क्या किजिये आधुनिकता का स्वांग रचता हुआ अमेरिका आज भी "स्त्री-हरम" की परिकल्पना स्वीकार नही कर सकता तब तो असम्भव था...पर मैर्लिंन मुनरो को ये सच पता था इस लिए वो जैकलीन कैनिडी के मुँह से ये "जान एफ" के लिए "कुत्ते का पिल्ला" शब्द फोन पर सुन कर बहुत हँसी थी...और उसे जैकलीन पर रहम भी आया था...!

मैरलीन आर्थिक स्वाबलंबन और स्वतंत्रता के सम्बंध को खूब समझती थी...और समझती थी अपनी कीमत भी...उसने हॉलीवुड में रहते हुए भी  कोई दबाव बर्दाश्त नही किया...एक बड़ी अनबन पर उसने "फॉक्स" के साथ अपना क़रार ख़त्म कर लिया और "मैरलीन मुनरो प्रोडक्शन" की शुरुआत करके तहलका मचा दिया। वो एक अभिनेत्री और स्टार के तौर पर सफलतम थी लेकिन स्वास्थ से लाचार होती जा रही थी...लगातार धोखे और टीस ने उसे तोड़ दिया था...36 साल की उम्र में सौन्दर्य भी ढलने लगता है जो आईना रोज़ मैरलीन को बता रहा था...वो बेहद परेशान थी कि उसे दुनिया केवल देह समझती है जबकि वो एक दिल भी है और आत्मा भी....अब वो अपनी आत्मा से दुनिया को परिचित कराना चाहती थी...वो अमेरिका ढोंग भी बेनकाब करना चाहती थी...वो  फिर से प्यार करना चाहती थी...और वो भी उसी जिम से जो उसका पति हो कर भी उसका मित्र बना रहा... जो उसे कुछ कुछ समझता था...उसने जिम से दोबारा शादी करने का अरमान बताया...जिम तैयार था...लेकिन समय नहीं...!

5 अगस्त 1965 की सुबह सारा अमेरिका हिल गया...टीवी और रेडियो चीख पड़े---"प्रसिद्ध अभिनेत्री मैर्लिंन मुनरो अपने बेडरूम में नग्नावस्था में मृत पाई गईं..उनकी मौत  नींद की गोलीयों के अधिक सेवन से हुई है...सम्भवतः उन्होंने अवसाद के कारण आत्महत्या कर ली..!...सारी दुनिया में सौंदर्य प्रेमी उदास हो गए...कुछ इसे हत्या बताने लगे...कुछ दुर्घटना...कुछ हताश भरी मौत...लेकिन मैरलीन अपने रहस्य अपनी पवित्र आत्मा के साथ ले गई...और छोड़ गई तो अपना नंगा-शरीर...इस दोगले समाज के चेहरे पर एक तमाचे की तरह...की देख लो यही वो लाश है जिसे तुम सब आजतक नोचते रहे.. लेकिन अब तुम इसे नही छुओगे....क्यों कि बदन में कोई स्वाद नही सारा स्वाद दिल मे है जो धड़कता है एक चमकती हुई आत्मा की शक्ति से ...क़ाश तुमने मेरी आत्मा को प्यार किया होता तो ये रस कभी न मिटता...!
मैरलीन हमेशा कहती थी मुझे किसी के साथ हमबिस्तर होना उतना कष्ट नही देता जितना नग्न तस्वीरें खिंचवाना... क्यों कि यह मेरी स्वतंत्रता का हनन है...और आज वो नग्न पड़ी थी कि खींच लो चाहे जितनी भी तस्वीरें खींचना चाहो...मैं जब फिंर कभी लौटी तो देखूँगी तुम्हारे पास मेरी तमाम नंगी तस्वीरों में ये एक आखरी नंगी तस्वीर है या नहीं..और अगर है तो क्या तुम इसे भी प्यार करते हो...अगर नही तो फिर मुझे जीने क्यों नही दिया तुमने...और अग़र हाँ...तो तुम तब क्यों नही थे जब मैं "मैरलीन मुनरो" थी...!!

1 जून 2018
ओमा The अक् 

(महान अभिनेत्री,सौंदर्य की देवी और स्वतंत्र मैरलीन मुनरो के जन्मदिन पर श्रद्धा के साथ💐💐🎂)

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