रेशनल होने का अर्थ एन्टी नेशनल होना कत्तई नहीं हो सकता-- स्वामी ओमा दी अक्

काशी,
14 फरवरी 2016


मदर हलीमा सेंट्रल स्कूल (चौहट्टा) में आयोजित एक कार्यक्रम में जे एन यु के मुद्दे पर बोलते हुए स्वामी ओमा दी अक् ने कहा की--
"भारतीय सभ्यता-संस्कृति-समाज और संविधान में मनुष्य की स्वतंत्रता और स्वायत्ता का जितना ध्यान रखा जाता है; विश्व में और कहीं नहीं मिलता..
 लेकिन इसी सहिष्णुता और स्वतंत्रता का अनुचित लाभ लेने वाले सत्तालोलुपों की भारी संख्या इस राष्ट्र के तिरंगे वट-वृक्ष में दीमक की तरह लगी है.. कभी मानवता, कभी साम्प्रदायिकता, कभी स्त्री या दलित विमर्श तो कभी अभिव्यक्ति की आज़ादी का नाम ले कर ये तथाकथित "प्रोग्रेसिव-सेकुलर्स" जिन्हें आम ज़ुबान में "वामपंथी" कहा जाता है , अनेक उत्पात मचाते रहते हैं..
अभी शनि मंदिर के नाम पर सनातन धर्म को अपमानित करने का प्रयास थमा भी नहीं था, की भारत का "मस्तिष्क" कहे जाने वाले "जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी" में "शहीद अफज़ल गुरु और कश्मीर की आज़ादी" जैसे "राष्ट्र विरोधी" नारे लगे..  मेरा स्वयम् का अनुभव जे एन यु को ले कर ये है की वहाँ के तमाम वामपंथी संगठन वस्तुतः "राष्ट्रद्रोही तैयार करने के कारखाने" बनते जा रहे हैं| मेरे 10 साल में अनेक व्याख्यान जे एन यु परिसर में हुए और मैंने ये महसूस किया की वहां पर पढ़ने के उद्देश्य से आये अनेक होनहार बच्चों को बड़ी शातिर मानसिकता के साथ भारतीय संविधान और सत्ता के विरुद्ध भड़काया जाता है और उन्हें अपने ही राष्ट्र के ख़िलाफ़ खड़ा किया जाता है जिसमे "धर्म" को एक अस्त्र की तरह प्रयोग में लाया जाता है, संसार में शायद ही कोई ऐसा राष्ट्र होगा जो अपनी नाक के ठीक नीचे ऐसी "देश द्रोही गतिविधियां" चलने दे.. लेकिन कई दशकों से भारत की राजधानी में ये सब चल रहा है... इस बार सरकार ने जे एन यु काण्ड के बाद जो कदम उठाया है वो एकदम न्यायोचित और राष्ट्रीय हित में है.. किसी संगठन या समूह को राष्ट्र द्रोह फैलाने वाले अनर्गल प्रलाप से बचना चाहिए.. "रेशनल होने का अर्थ एन्टी नेशनल होना कत्तई नहीं हो सकता"... और ये बात हर वयक्ति और संस्था को समझना होगा जे एन यु में वामपंथी संगठनो के नारों ने फिर ये बात साबित किया है इन मामलों में लापरवाही देश को विघटन की ओर धकेल सकती है अतः पुरे राष्ट्र के नौजवानो को इस तरह के बहकावे से बचना चाहिए...

इस अवसर पर अक् जागृत मतदाता मंच के संयुक्त सचिव साक़िब भारत ने कहा कि "ये वो लोग हैं जो मुसलमानो के हमदर्द बन कर उन्हें ही लूट रहे हैं और बदनाम कर रहे हैं "
इस विषय पर बहाउद्दीन सिद्दकी, विशाल भारत, अमित और हितेश ने भी अपने विचार रखे.. संचालन इमरान हसन और नोमान हसन ने किया ।।

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